बच्चों से लेकर बड़ों की जिंदगी में मां सबसे अहम महिला होती हैं। मां अपने बच्चों की बात कहे बिना ही आसानी से समझ जाती हैं। अच्छी परवरिश से लेकर सही मार्गदर्शन के रूप में हर वक्त वो साथ देती हैं। वैसे तो एक मां के लिए सभी दिन बराबर ही होते हैं, लेकिन मदर्स डे एक ऐसा दिन है जो सिर्फ मां के लिए समर्पित है। यह खास दिन मई महीने के दूसरे हफ्ते के रविवार को मनाया जाता है। लेकिन अगर आपसे यह सवाल किया जाए कि कब, क्यों और पहली बार मदर्स डे कब सेलिब्रेट किया गया था तो फिर आपका जवाब क्या हो सकता है? अगर आप भी इन्हीं सवालों का जवाब जानना चाहते हैं तो आपको भी इस आर्टिकल को ज़रूर पढ़ना चाहिए।
मदर्स डे का प्राचीन इतिहास काफी रोचक है। इस दिन को लेकर कहा जाता है कि प्राचीन काल में मां के प्रति सम्मान यानी मां की पूजा ग्रीस (यूनान के नाम से भी कई लोग जानते हैं) में प्रारंभ हुआ था। कई लोगों का मानना है कि उस समय के लोग ग्रीस देवताओं की मां को ही सम्मान या पूजा करते थें। हालांकि, इसका कोई पुख्ता जानकारी किसी के पास नहीं है।
मदर्स डे का आधुनिक इतिहास काफी दिलचस्प है। ऐसा मानना जाता है कि आधुनिक युग में मदर्स डे की शुरुआत एक महिला ने शुरू की थी। उस महिला का नाम एना जार्विस बताया जाता है। उनके बारे में कहा जाता है कि एना अपनी मां से बहुत प्यार करती थी और उनके निधन हो जाने के बाद उनके प्रति सम्मान और प्यार दिखाने के लिए इस खास दिन की शुरुआत की थी।
एना के इस पहल को कई सालों तक लोगों ने फॉलो किया। कहा जाता है कि मदर्स डे मनाने का पहला विचार लगभग साल 1908 के आसपास आया था। लेकिन कई सालों तक उतार-चढ़ाव के बाद लगभग 1914 के आसपास इसे मनाने की घोषणा हुई। तब से मई महीने के दूसरे हफ्ते के रविवार को मनाया जाता रहा है। इस साल मदर्स डे 8 मई दिन रविवार को है। कहा जाता है कि आधुनिक दुनिया में मदर्स डे पहली बार अमेरिका में मनाया गया था।
भारत में प्राचीन समय में मदर्स डे को लेकर कुछ खास नहीं होता था, लेकिन पिछले कुछ दशकों से भारत में भी यह दिन बेहद ही पॉपुलर हो चुका है। आज छोटे गांव से लेकर बड़े शहर तक इस दिन को बेहद ही प्यार के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन भारतीय लोग अपनी-आपनी मां को गिफ्ट देना, यात्रा पर साथ जाना, साथ में डिनर पर जाना आदि चीजें करना पसंद करते हैं।