डेस्क : एक तरफ जहां दिल्ली में मरीजों को भर्ती के लिए कहीं बेड नहीं मिल रहे हैं तो कहीं लोग मरीज को लेकर दर-दर भटकने को परिजन मजबूर हैं. वहीं दूसरी तरफ 1200 बेड का बना कोविड केयर सेंटर मरीज का इंतजार में खड़ा है. रेलवे कोच में बने 1200 बेड में से सिर्फ एक दर्जन पर भी मरीज पिछले चार दिनों में नहीं भेजे गए हैं. दिल्ली सरकार की तरफ से नियुक्त किए गए नोडल अधिकारी को तो इसकी जानकारी भी नहीं है.
शकूर बस्ती में बने 800 बेड के अस्पताल के बारे में तो पश्चिमी जिले के जिलाधिकारी को भी जानकारी नहीं है. वहां की नोडल अधिकारी डॉक्टर चांदना फोन ही नहीं उठा रही हैं. हैरत की बात है कि कंट्रोल रूम में उस सेंटर के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है.
महावीर अस्पताल के अधिकारी मनी दीपा ने बताया कि हमारी टीम कोऑर्डिनेट कर रही है, लेकिन जो निर्देश संबंधित नोडल ऑफिस से मिले हैं, उसके मुताबिक आज सुबह तक सिर्फ चार ही मरीज शिफ्ट किए गए हैं. ये भी सच है कि शकूर बस्ती में वाशिंग यार्ड में बने इस सेंटर में अधिकारी जाने से मना करते हैं. लेकिन जहां दिल्ली के लगभग 70 फीसदी अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी है, लोग हर तरफ अपने बीमार परिजनों को लेकर भटक रहे हैं, ऐसे में इस कोविड केयर सेंटर जाने से अधिकारी क्यों डरते हैं, जबकि यहां सभी तरह की बुनियादी सुविधाएं हैं. हर कोच में ऑक्सीजन के सिलेंडर हैं. खाने के लिए आईआरसीटीसी की व्यवस्था है.
वहीं, अब आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर बने 400 बेड के कोविड केयर सेंटर को 10 दिन से अधिक का समय हो गया है, लेकिन अभी तक एक भी मरीज वहां तक नहीं भेजा गया है. शहादरा जिले के नोडल अधिकारी डॉक्टर सुशांत नायक हैं और उनकी टीम को ही कोऑर्डिनेट करना है और मरीजों को वहां भेजना है, लेकिन उनके नीचे तीन अधिकारी ने कहा कि इसकी जानकारी हमारे पास नहीं है कि किस अस्पताल के साथ कोविड केयर सेंटर को लिस्ट किया गया है. डॉक्टर सुशांत नायक फोन ही नहीं उठाते हैं. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस मसले पर अपने अधिकारियों को इसकी जांच करके रिपोर्ट देने को कहा है.