पटना : राष्ट्रीय युवा पुरस्कार एवं राजकीय शिक्षक सम्मान से सम्मानित नियोजित शिक्षिका डॉ. नम्रता आनन्द, राoमoविo सिपारा, फुलवारीशरीफ, जो अराजपत्रित शिक्षक संघ की अध्यक्ष हैं, ने शनिवार को बताया कि उन्होंने बिहार सरकार द्वारा वर्ष 2018 में दिए गए शिक्षक सम्मान पुरस्कार को वापस करने का निर्णय परिस्थितिवश लिया है।समान काम-समान वेतन व अन्य मांगों को लेकर नियोजित शिक्षक विगत दो महीनों से हड़ताल पर हैं। विदित हो कि पटना हाइकोर्ट ने भी इस मुद्दे पर संज्ञान लेने को सरकार को कई बार परामर्श दी है | लेकिन, बिहार सरकार समझौता करने व राजकीय प्रारम्भिक शिक्षक समन्वय समिति की सात मांगों को मानने को तैयार नहीं है।
डॉ. नम्रता ने कहा कि कई महीने से वेतन नहीं दिया गया है, शिक्षक भूखमरी की कगार पर हैं. कई बीमारी से ग्रसित हैं और सरकार के अकुशल प्रबन्धन के कारण 60 शिक्षकों की मृत्यु हो गयी है, जिसके लिए राज्य सरकार जिम्मेवार है। उनके आश्रितों को अनुकम्पा पर योग्यतानुसार बहाल किया जाना चाहिए. हड़ताल अवधि तथा इससे पूर्व के लंबित वेतन का भुगतान हो।
डॉ. नम्रता ने कहा कि वह सरकार को आगाह करना चाहती हैं कि यदि वह 10 दिनों के अंदर वार्ता के जरिये इस समस्या पर पहल कर कोई हल नही निकाल पाती है, तो राज्य सरकार द्वारा दिए गए सम्मान-पुरस्कार को वापस करना उनकी विवशता होगी।
उन्होंने कहा कि वह सीएम नीतीश कुमार से निवेदन करती हैं कि नियोजित शिक्षकों को अन्य शिक्षकों की तरह राज्यकर्मी का दर्जा दें एवं वेतन विसंगति सम्बन्धी व वैधानिक सुविधा का लाभ दें । सरकार के अड़ियल रवैये के कारण बच्चों का भविष्य अधर में है। गलत शिक्षा नीति व व्यवस्था में सुधार करने की भी आज जरूरत है | ताकि, अभिभावकों का ध्यान निजी विद्यालयों की तरफ न जाए। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है मानो प्रत्येक वर्ष शिक्षक दिवस के अवसर पर यह पुरस्कार सहायक शिक्षकों के साथ-साथ नियोजित शिक्षकों को भी देना, एक औपचारिकता मात्र है।
डॉ. नम्रता ने कहा कि इसके बावजूद कोरोना जैसे वैश्विक महामारी में भी नियोजित शिक्षक इस बीमारी की गम्भीरता के बारे में अपने-अपने क्षेत्र में लोगों को जागरूक करने, मास्क, सैनिटाइजर बाँटने एवं दिव्यांगों व किन्नर समुदाय, जो वैधानिक रूप से सरकारी सुविधा से वंचित है, के बीच खाद्य सामग्री का वितरण करने का कार्य कर रहे हैं।