स्वास्थ्य

आईसीएमआर : पुरुषों के लिए बनी गर्भनिरोधक “रिसग” 99 प्रतिशत तक कारगर, अब नहीं पड़ेगी कंडोम की जरूरत

नई दिल्ली : भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की इस खोज के बाद अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए एक और विकल्प मिल जाएगा. आईसीएमआर द्वारा विकसित पुरुष गर्भनिरोधक (male contraceptive) RISUG (रिसग) का 303 व्यक्तियों के बीच क्लीनिकल ट्रायल किया गया.

ट्रायल में पाया गया कि यह गर्भावस्था को रोकने में 99 प्रतिशत प्रभावी है. स्टडी में कहा गया है कि RISUG उच्च क्षमता और कम विफलता दर वाला एक बार इस्तेमाल किया जाने वाला पुरुष गर्भनिरोधक है. क्लीनिकल ट्रायल की स्टडी पिछले महीने एंडोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई थी.

स्टडी के आधार पर हिंदुस्तान टाइम्स ने लिखा, ‘RISUG में पाया गया कि एजुस्पर्मिया (वीर्य में व्यवहार्य शुक्राणु की अनुपस्थिति) के मामले में इसकी (Reversible Inhibition of Sperm Under Guidance) प्रभावकारिता 97.6 फीसदी थी. दवा की विफलता के कारण गर्भधारण की घटना के आधार पर कुल प्रभावकारिता 99.02 प्रतिशत थी.’ RISUG को पुरुष गर्भनिरोधक के रूप में विकसित किया गया है. ध्यान रहे कि पुरुष नसबंदी यानी वेस्कोटोमी (vasectomy) दुनिया में पुरुषों के लिए एकमात्र नसबंदी विधि है.

कैसे काम करता है रिसग 

रिसग (RISUG) को रिवर्सिबल इंहिबिशन ऑफ स्पर्म अंडर गाइडेंस कहा जाता है. इसे इंजेक्शन के जरिये स्पर्म डक्ट में डाला जाता है. स्पर्म डक्ट के जरिए शुक्राणु टेस्टिकल्स से पुरुष के पेनिस में जाते हैं. जब एक बार रिसग को इंजेक्ट कर दिया जाता है उसकी वजह से पॉलीमर स्पर्म डक्ट की आंतरिक दीवार से चिपक जाते हैं. जब यह किसी नेगेटिव स्पर्म के संपर्क में आते हैं तो उसकी टेल को नष्ट कर देते हैं. इसका फायदा यह होता है कि एग के संपर्क में आने पर भी एग निषेचित नहीं हो पाता.

शोधकर्ता नतीजे से दिखे खुश 

स्टडी के प्रमुख शोधकर्ताओं में से एक, आरएस शर्मा ने कहा कि इस तरह के उत्पाद की क्षमता का पता दो मानदंडों के आधार पर लगाया जाता है. गर्भावस्था से सुरक्षा और शुक्राणुओं की व्यवहार्यता. उन्होंने कहा, ‘आईसीएमआर द्वारा विकसित दवा ने तय मानदंडों के आधार पर उत्कृष्ट परिणाम दिए हैं. आरएस शर्मा ने कहा, ‘इस उत्पाद में जनसंख्या नियंत्रण के लिए एक लोकप्रिय आधुनिक पुरुष गर्भनिरोधक के रूप में उभरने की क्षमता है.’