साहित्य

कविता : ‘बापू जी’ (नागेंद्र सिंह चौहान)

बापू जी हम सब
आपका सपना साकार करने वाले हैं
बापू जी हम सब
बेकार नहीं, विकास करने वाले हैं
बापू जी हम सब
आपके चश्मे से भारत स्वच्छ करने वाले हैं
बापू जी हम सब
आपकी फोटो वाले नोट से काम कराते हैं
सच बापू जी
आप आते यहां तो होते कितना खुश
और फिर कहते
भारतीयों तुमने किया है बहुत विकास
बापू जी आप तो
बस एक लाठी लेकर थे चलते
बापू जी यहां अब
एके-56 राइफल लेकर हैं चलते
सच आपने दूसरों
की खातिर एक धोती ही थे पहने
बापू जी यहां
चलती हैं आधुनिकाएं कम कपड़े पहने
बापू जी आप अगर
नाराज न हो तो एक बात बताओ क्या
स्वर्ग में भी सत्याग्रह
करके वहां की राजनीति में किया कुछ नया
बापू जी वहां पर
देवताओं स्वर्ग छोड़ो नारा बुलंद कर दो
हम भारतीयों के लिए
स्वर्ग का दरवाजा पूरा खुला छोड़ दो।
अच्छा फिर मिले मौका
तो एक रात के लिए ही चले आना
पर ध्यान रखना
हमसे मिलने इंडिया नहीं भारत आना।

(नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान)