आलेख

ज मैं मुगलकालीन इतिहास पढ़ रहा था. तो कहते हैं न कि इतिहास अपने-आप को दुहराता है, बात बिल्कुल ठीक लगी. वर्तमान में, मोदी जी वही गलतियाँ कर रहे हैं जो कभी औरंगजेब ने की थीं!
वंशानुक्रम में औरंगजेब नीचे था. उसने अपने से वरिष्ठ और काबिल भाइयों को ठिकाने लगा दिया. मोदी जी ने भी अपने गुरु सहित अन्य वरिष्ठ साथियों को ठिकाने लगा दिया. कहना न होगा कि उनके पास पैसे की अथाह ताकत थी, जिसके कारण पार्टी के अन्दर किसी ने भी विरोध नहीं किया. उन्हीं पैसों की मदद से पूरे हिन्दी बेल्ट को अपने साथ मिला लिया गया. शिवराज, सुषमा, राजनाथ आदि ने भरे मन से उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार कर लिया. कुछ भावुक लोग, जिनमें जसवंत सिन्हा और शत्रुध्न सिन्हा थे, बेवकूफ़ीवश विरोध कर बैठे और भाजपा में महत्वहीन हो गए. मोदी ने शाह की मदद से अपने लिए एक जयकारा गैंग तैयार कर लिया.
अटल बिहारी वाजपेयी के प्रयास से भारत की राजनैतिक भूमि पर एनडीए बना था।औरंगजेब को भी उसके पूर्वजों ने एक एनडीए जैसी संरचना दी हुई थी. इसमें राजपूतानों का सहयोग दिल्ली को प्राप्त हो रहा था. किंतु, अपने असहिष्णु व्यवहार से उसने दोस्तों को भी दुश्मन बना लिया था.
बिल्कुल उसी प्रकार से, मोदी ने भी अपने आर्थिक लाभ के लिए दोस्तों को दुश्मन बनाना शुरू कर दिया. वह पहले अकाली और बाद में, नीतीश और ठाकरे जैसे विश्वसनीय लोगों से दरकिनार होते चले गए. अब वह व्यर्थ में, औरंगजेब की तरह दक्षिण में जोर-आजमाइश में जुट गए हैं.
यहीं से उनके पराभव की कहानी शुरू होती है. केजरीवाल सरकार के खिलाफ जिस प्रकार के असंवैधानिक कानून बनाए गए हैं, उसने मोदी के असहिष्णु व्यवहार की कलई खोल दी है.
लब्बोलुआब यह कि औरंगजेब की भाँति इनका जाना भी 2024 में तय हो गया है. इतना ही नहीं, भाजपा में इनकी राजनीति ने भाजपा के पराभव की लम्बी- चौड़ी पटकथा लिख दी है.